‘लैला’ के लिए सिर्फ मजनू ही नहीं रोया, महाराज रणजीत सिंह भी रोए थे, जानना चाहो तो खबर पढ़ लो !
‘लैला’ नाम सुनते ही जो नाम फटाक से हम सबके दिमाग में आता है बिना किसी सोच में समय खर्च किए वो है ‘मजनू’ लेकिन लैला के लिए रोने की वजह से पूरा का पूरा स्टारडम हम मजनू को नहीं दे सकते क्यूंकि इस श्रेणी में महाराज रणजीत सिंह का नाम भी शुमार है, कैसे है वो नीचे लिखा है !
Img Banner
profile
Raaj Sharma
Created AT: 05 अगस्त 2023
7286
0
...
‘लैला’ नाम सुनते ही जो नाम फटाक से हम सबके दिमाग में आता है बिना किसी सोच में समय खर्च किए वो है ‘मजनू’ लेकिन लैला के लिए रोने की वजह से पूरा का पूरा स्टारडम हम मजनू को नहीं दे सकते क्यूंकि इस श्रेणी में महाराज रणजीत सिंह का नाम भी शुमार है, कैसे है वो नीचे लिखा है !

जिस ‘लैला’ के लिए महाराज रणजीत सिंह रोए दरअसल वो होमो सेपियंस नहीं बल्कि एक घोड़ी थी लेकिन ख़ूबसूरती में बराबर –

जिन लोगों ने इतिहास को पढ़ा है या इतिहास में ज़रा सी भी दिलचस्पी है उन्होंने महाराज रणजीत सिंह के बारे में सुना ही होगा और फिर साथ में सुना होगा उनके घुड़सवारी के शौक़ के बारे में !

इतिहासकार बताते हैं कि महाराज रणजीत सिंह के अस्तबल में लगभग 12000 घोड़े थे जिसमें से 1000 घोड़े सिर्फ उनकी घुड़सवारी के लिए थे जिनमें से किसी की भी कीमत उस समय के 20000 रूपए से कम नहीं थी !

इतिहास में जब महाराज रणजीत सिंह के नाम का पन्ना खुलता है तो उनके साथ उनके कुछ घोड़े घोड़ियों के नाम भी लिखे दिखाई देते हैं जिनमें मुख्यतः नसीम, रूही और गौहर हैं लेकिन जिस एक नाम की वजह से जंग और कत्लेआम हुआ, उसका नाम था ‘लैला’ जोकि बेहद खूबसूरत भी थी !

banner

घोड़े इतने पसंद थे कि घर आए मेहमानों से भी घोड़ों और उनकी नस्लों के बारे में बातें किया करते थे –

महाराज रणजीत सिंह के बारे में एक बात उस समय सब लोग जानते थे कि उन्हें घोड़ों का बहुत शौक़ है और इसी वजह से उनसे मिलने आए अतिथि भी उनके लिए उपहार स्वरुप अलग-अलग नस्ल के घोड़े लाया करते थे !

महाराज रणजीत सिंह के परिवार वालों को भी ये मालूम था कि घोड़े उनकी कमजोरी है !

कुछ यूं हुई ‘लैला’ की एंट्री –

दरअसल इस क़िस्से की शुरुआत तब हुई जब एक अंग्रेज़ ने हैदराबाद के निज़ाम को कई सारे अरबी नस्ल के घोड़े उपहार में दिए !

जब इस बात की खबर रणजीत सिंह को मिली तो उन्होंने निज़ाम को चिट्ठी लिखकर कहा कि अरबी नस्ल के कुछ घोड़े उनके पास भी भेजे जाएं !

इस चिट्ठी का मज़ाक उड़ाते हुए निज़ाम ने महाराज रणजीत सिंह के आदेश को ठुकरा दिया और घोड़े भेजने से इनकार कर दिया !

निज़ाम द्वारा की गई तौहीन रणजीत सिंह को नागवार गुज़री और वर्चस्व को बचाने के लिए उन्होंने निज़ाम पर हमला कर दिया और उसकी सल्तनत पर कब्ज़ा कर लिया !

हैदराबाद पर कब्ज़ा करने के बाद एक दिन बैठक में मंत्रीगणों ने रणजीत सिंह को ‘लैला’ की खूबसूरती के क़िस्से सुनाए जोकि अफगानिस्तान से फारस तक फैले हुए थे !

लैला के बारे में पता करने पर मालूम हुआ कि वो पेशावर के यार मोहम्मद की घोड़ी है और यार मोहम्मद रणजीत सिंह के लिए टैक्स वसूली का काम करता था !

महाराज रणजीत सिंह को जब पता चला कि घोड़ी यार मोहम्मद की है तो उन्होंने यार मोहम्मद के लिए उसे बेचने का प्रस्ताव भेजा पूरे 50000 रूपए का !

लेकिन पसंद को पैसे से ऊपर रखकर यार मोहम्मद ने राजा का प्रस्ताव ठुकरा दिया !

banner

‘लैला’ को खोने और पाने के चक्कर में जंग, जुगत और झुकाव सब हुआ –

यार मोहम्मद द्वारा रणजीत सिंह का प्रस्ताव ठुकराने के बाद रणजीत सिंह ने यार मोहम्मद पर हमला कर दिया और पेशावर को अपने अधीन कर लिया !

लेकिन यार मोहम्मद ‘लैला’ को किसी भी कीमत पर महाराज रणजीत सिंह को नहीं देना चाहता था इसलिए उसने लैला को काबुल भिजवा दिया था !

जब रणजीत सिंह ने लैला को ढूँढने का आदेश दिया तो कुछ सिपाहियों ने इनाम की जुगत में किसी और घोड़ी को लैला बनाकर पेश किया लेकिन वो झूठ पकड़ा गया और लैला की खोज जारी रही !

बाद में मालूम हुआ कि यार मोहम्मद ने लैला को उस वक़्त महाराज रणजीत से युद्ध कर रहे सैयद अहमद के पास भिजवा दिया था !

महाराज रणजीत सिंह ने लैला को पाने के लिए झुकाव दिखाते हुए सैयद अहमद के पास भी प्रस्ताव भेजा कि वो लैला को उनके पास भेज दे और बदले में जितनी दौलत चाहे ले ले !

लेकिन वर्चस्व की जकड़ में जकड़े सैयद अहमद ने भी यार मोहम्मद की तरह प्रस्ताव ठुकरा दिया और भयंकर कत्लेआम को आमंत्रित किया !

आख़िरकार इस जंग की जीत के बाद ही सही लेकिन लैला महाराज रणजीत सिंह को मिल गई और इतिहासकार बताते हैं कि जब महाराज रणजीत सिंह ने लैला को पहली बार देखा तो बच्चे की तरह उससे लिपट गये और रोने लगे थे !

banner

बाक़ायदा ‘लैला’ को दुल्हन बनाकर लाए थे महाराज रणजीत सिंह –

महाराज रणजीत सिंह ‘लैला’ को जब अपने महल में ला रहे थे तो बताया जाता है कि उसके साथ 500 फौजियों का कड़ा पहरा था और इसके साथ ही लैला को पूरी तरह से गहनें और जेवरात से लाद कर लाया गया था !

राजधानी पहुंचते ही ‘लैला’ का जश्न मनाते हुए खूब स्वागत किया गया !

और इस तरह इतिहास में कम से कम एक ‘लैला’ तो उसके चाहने वाले को मिल ही गई !

Read More: THE KISHORE DAA : 4 अगस्त को खंडवा (म.प्र.) में जन्में किशोर कुमार को बचपन में आभास भी नहीं हुआ था कि वो गायक बनेंगे !

ये भी पढ़ें
डिंपल यादव ने मणिपुर कांड पर केंद्र सरकार से पूछे कई सवाल !
...

Trending

See all →
Sanjay Purohit
धर्मेंद्र के निधन के 72 घंटे बाद हेमा मालिनी का छलका दर्द, लिखा- वो मेरे लिए सब कुछ थे
धर्मेंद्र के निधन के बाद जहां पूरे बॉलीवुड में मातम छाया हुआ है वहीं, हेमा मालिनी टूट गई हैं। उन्होंने धर्मेंद्र की याद में बेहद इमोशनल मैसेज लिखा है।
46 views • 3 hours ago
Sanjay Purohit
राजस्थान में है एक्टर धर्मेंद्र का मंदिर, इसकी कहानी भी है बेहद अनोखी
बॉलीवुड की शान रहे एक्टर धर्मेंद्र के निधन से उनके फैन्स को गहरा दुख लगा है. लोगों को अब भी यकीन नहीं हो रहा कि उनके ही-मैन अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं. इन्हीं में से धर्मेंद्र के एक फैन हैं, राजस्थान के प्रीतम कुमार सुथार. 63 साल के प्रीतम की दीवानगी धर्मेंद्र के लिए इतनी थी कि उन्होंने अपने फोटो स्टूडियो का नाम भी फेवरिट एक्टर के नाम पर रखा है.
115 views • 2025-11-26
Sanjay Purohit
प्रयागराज की दुल्हन ने तोड़ दी परंपरा, खुद निकाली अपनी बारात और बग्घी पर झूमते-नाचते पहुंची दूल्हे के घर
उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले के कीडगंज इलाके में एक अनोखी और दिल छू लेने वाली शादी देखने को मिली, जिसकी चर्चा पूरे शहर में हो रही है। आमतौर पर दूल्हा अपनी बारात लेकर दुल्हन के घर पहुंचता है, लेकिन यहां नजारा बिल्कुल अलग था।
111 views • 2025-11-26
Sanjay Purohit
काला रंग अशुभ, फिर भी मंगलसूत्र के मोती काले क्यों होते हैं?
मंगलसूत्र सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार में से एक माना जाता है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं में काले रंग को अशुभ माना गया है और ऐसे में कई महिलाओं के मन में सवाल आता है कि जब काला रंग अशुभ है तो मंगलसूत्र के मोती काले क्यों होते हैं.
183 views • 2025-11-24
Sanjay Purohit
क्या है ‘टेल्स ऑफ कामसूत्र फेस्टिवल’? जिसका गोवा में हो रहा विरोध
गोवा में प्रस्तावित 'टेल्स ऑफ कामसूत्र फेस्टिवल' भारी विरोध के कारण रद्द कर दिया गया है. क्रिसमस के समय पर आयोजन और अश्लील पोस्टरों से धार्मिक भावनाएं आहत हुईं, जिस पर कैथोलिक समुदाय, NGO व राजनीतिक संगठनों ने आपत्ति जताई.
78 views • 2025-11-24
Sanjay Purohit
कौन हैं मिस यूनिवर्स 2025 की विजेता फातिमा बॉश? आसान नहीं रहा सफर
मेक्सिको की 25 साल की मॉडल फातिमा बॉश वो ब्यूटी क्वीन हैं, जिन्होंने अपनी एलीगेंस और कॉन्फिडेंस के दम पर मिस यूनिवर्स 2025 का ताज जीतकर दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। कुछ ही मिनटों में उनका नाम दुनिया भर के सोशल मीडिया पर छा गया।
182 views • 2025-11-21
Sanjay Purohit
विदाई से ठीक पहले दुल्हन गायब!
शादी से पहले हर किसी के मन में एक-दूसरे के लिए प्यार, सम्मान और खुशहाल भविष्य के सपने होते हैं, लेकिन शादी के दिन ही दिन ही उसकी होने वाली पत्नी किसी और के साथ फरार हो जाय तो उस पर क्या बीतेगी। ऐसा ही एक मामला बाराबंकी जिले से सामने आया है। यहां पर घुंघटेर थाना क्षेत्र के एक गांव से मंगलवार को नगर कोतवाली क्षेत्र के कस्बे आई।
210 views • 2025-11-20
Sanjay Purohit
कब और कैसे शुरू हुआ था इंटरनेशनल मेन्स डे?
इंटरनेशनल मेन्स डे इस साल 'Celebrating Men and Boys' थीम के साथ मनाया जा रहा है। पुरुषों के लिए इस खास दिन की शुरुआत साल 1999 में हुई थी।
170 views • 2025-11-19
Sanjay Purohit
महिला के गर्भ में पल रहे 9 बच्चे- डॉक्टर भी रह गए स्तब्ध
मिस्र में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने चिकित्सा जगत को हैरान कर दिया है। एक महिला जब सामान्य प्रेग्नेंसी चेकअप के लिए अस्पताल पहुंची, तो जांच में पता चला कि उसके गर्भ में एक नहीं, दो नहीं बल्कि नौ बच्चे एक साथ पल रहे हैं। इस दुर्लभ घटना ने डॉक्टरों और लोगों दोनों को स्तब्ध कर दिया है।
165 views • 2025-11-14
Sanjay Purohit
जब UP की एक तवायफ ने बचाई थी 'चंद्रशेखर आजाद' की जान, अपने घर में यू छिपाया कि पुलिस को भी नहीं लगी भनक
आजादी की लड़ाई के दौरान बनारस का दालमंडी इलाका नाच-गाने और कोठों का एक प्रमुख क्षेत्र था। यहां तवायफों की महफिलें सजती थीं और यहां की सबसे प्रसिद्ध तवायफ धनेशरी बाई थीं। वह दालमंडी थाने के पीछे रहती थीं। बात उन दिनों की है जब बनारस में चंद्रशेखर आजाद क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय हो गए थे।
185 views • 2025-11-12
...

IND Editorial

See all →
Sanjay Purohit
बगराम एयरबेस: शक्ति-संतुलन की धुरी और भारत की रणनीतिक सजगता
अफगानिस्तान की पर्वत-शृंखलाओं के बीच बसा बगराम एयरबेस आज केवल एक सैन्य ठिकाना नहीं, बल्कि बदलती वैश्विक राजनीति का प्रतीक बन चुका है। कभी अमेरिकी फाइटर जेट्स की गर्जना से गूंजने वाला यह अड्डा अब शक्ति-संतुलन, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव के अदृश्य खेल का केंद्र है।
214 views • 2025-10-30
Sanjay Purohit
बाहर-भीतर उजाले के साथ फैलाए सर्वत्र खुशहाली
अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, दुष्चरित्रता पर सच्चरित्रता की और निराशा पर आशा की जीत का पर्व दीपावली भारतीय संस्कृति व सामाजिक दर्शन का मूल भाव दर्शाता है। पारंपरिक रूप से इस मौके पर लक्ष्मी पूजन के साथ खुशहाली की कामना समाज के हर वर्ग के लिए है जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है। दूसरे पर्वों की तरह यह पर्व भी प्रकृति व सामाजिक परिवेश के प्रति दायित्व निभाने का संदेश लिये है। मसलन हम पारंपरिक उद्यमों से निर्मित सामान खरीदकर उन्हें संबल दें।
87 views • 2025-10-19
Sanjay Purohit
फिल्मी दिवाली में प्रतीकों के जरिये बहुत कुछ कहने की परंपरा
फिल्मों में हर त्योहार का अपना अलग प्रसंग और संदर्भ है। होली जहां मस्ती के मूड, विलेन की साजिश के असफल होने और नायक-नायिका के मिलन का प्रतीक बनता है। जबकि, दिवाली का फ़िल्मी कथानकों में अलग ही महत्व देखा गया। जब फ़िल्में रंगीन नहीं थी, तब भी दिवाली के दृश्य फिल्माए गये। पर, वास्तव में दिवाली को प्रतीकात्मक रूप ज्यादा दिया गया। अधिकांश पारिवारिक फिल्मों में दिवाली मनाई गई, पर सिर्फ लक्ष्मी पूजन, रोशनी और पटाखों तक सीमित नहीं रही। दिवाली की रात फिल्मों के कथानक में कई ऐसे मोड़ आए जिनका अपना अलग भावनात्मक महत्व रहा है।
240 views • 2025-10-18
Sanjay Purohit
धनतेरस: दीपावली के प्रकाश पर्व की आध्यात्मिक शुरुआत
दीपावली, जिसे अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव कहा गया है, उसकी वास्तविक शुरुआत धनतेरस से होती है। यह केवल उत्सव का पहला दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक आलोक का उद्घाटन भी है। धनतेरस, या धनत्रयोदशी, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है — वह क्षण जब जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक संतुलन का प्रथम दीप प्रज्वलित होता है।
196 views • 2025-10-17
Sanjay Purohit
गांधी जयंती विशेष: आज की दुनिया में गांधीवादी मूल्यों की प्रासंगिकता
आज जब पूरी दुनिया हिंसा, युद्ध, जलवायु संकट, आर्थिक असमानता और मानवीय संवेदनाओं के क्षरण से जूझ रही है, ऐसे समय में महात्मा गांधी के सिद्धांत पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक दिखाई देते हैं। गांधीजी का जीवन कोई बीता हुआ अध्याय नहीं, बल्कि एक ऐसा प्रकाशस्तंभ है, जो आज के अंधकारमय परिदृश्य में मार्गदर्शन करता है।
204 views • 2025-10-02
Sanjay Purohit
दुर्गा तत्व—भारतीय दर्शन और अध्यात्म का सार
भारतीय दर्शन का मूल भाव केवल बाहरी पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा है। इसी यात्रा में दुर्गा तत्व एक केंद्रीय स्थान रखता है। दुर्गा केवल देवी का नाम नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वह ऊर्जा है जो प्रत्येक जीव में अंतर्निहित है।
356 views • 2025-09-24
Sanjay Purohit
शक्ति का दर्शन : सनातन परंपरा में शाक्त मार्ग और नवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश
सनातन परंपरा के विशाल आध्यात्मिक आकाश में शक्ति की साधना एक अद्वितीय और प्राचीन प्रवाह है। शाक्त दर्शन केवल किसी देवी की पूजा का भाव नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त ऊर्जा, चेतना और जीवन के रहस्यों को समझने का मार्ग है।
208 views • 2025-09-21
Sanjay Purohit
हिन्दी : शिवस्वरूपा और महाकाल
हिन्दी दिवस के एक दिन पूर्व यह लेख लिखते हुए मन में अपार गर्व और आत्मगौरव का अनुभव हो रहा है। निसंदेह हिन्दी दुनिया की श्रेष्ठतम भाषाओं में एक है। हर भाषा का अपना आकर्षण है, लेकिन हिन्दी अनेक मायनों में अद्वितीय और अनुपम है। इसमें सागर जैसी गहराई है, अंबर जैसा विस्तार है और ज्योत्स्ना जैसी शीतलता है।
295 views • 2025-09-13
Sanjay Purohit
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : शिक्षा, दर्शन और राष्ट्रनायक का अद्भुत संगम
भारत भूमि ने समय-समय पर ऐसे महामानवों को जन्म दिया है जिनका जीवन केवल उनके युग तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक बनता है। ऐसे ही एक महान विभूति थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन—दार्शनिक, शिक्षक, चिंतक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति। उनके व्यक्तित्व में ज्ञान, अध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
341 views • 2025-09-05
Sanjay Purohit
संतति, संस्कृति और पितृपक्ष : सनातन परंपरा का जीवंत संवाद
सनातन संस्कृति की गहराई को समझना हो तो पितृपक्ष उसका सबसे जीवंत आयाम है। यह केवल 16 दिन का कर्मकांड नहीं है, बल्कि संतति और पूर्वजों के बीच संवाद का अवसर है। जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के दार्शनिक रहस्य को यह पर्व अपने भीतर समेटे हुए है।
368 views • 2025-09-02
...

Story

See all →
Richa Gupta
Gmail अकाउंट का आपके सिवा भी कोई कर रहा है इस्तेमाल! ऐसे करें बाकी जगहों से लॉगआउट
स्मार्टफोन और AI के जमाने में शायद ही कोई हो जिसका Gmail अकाउंट ना हो। पर्सनल और बिजनेस के लिए हर कोई Gmail अकाउंट का इस्तेमाल कर ही रहा है।
510 views • 2025-01-29
Raaj Sharma
‘लैला’ के लिए सिर्फ मजनू ही नहीं रोया, महाराज रणजीत सिंह भी रोए थे, जानना चाहो तो खबर पढ़ लो !
‘लैला’ नाम सुनते ही जो नाम फटाक से हम सबके दिमाग में आता है बिना किसी सोच में समय खर्च किए वो है ‘मजनू’ लेकिन लैला के लिए रोने की वजह से पूरा का पूरा स्टारडम हम मजनू को नहीं दे सकते क्यूंकि इस श्रेणी में महाराज रणजीत सिंह का नाम भी शुमार है, कैसे है वो नीचे लिखा है !
7286 views • 2023-08-05
...